दहक जाता हूँ
कुदरत के दस्तूर देख कर
अपनो को अपने से कभी दूर देख कर
तू बूढ़ी हो चुकी आंखें कमज़ोर
नाही बदला है जो
वो तेरा रोज़ मेरा ही इंतेज़ार
खौल उठता हूँ देख कर तेरी आँखों में आंसू
दर्द केहरा जाता है तेरे दर्द को देख कर
खुदा ने भी नायाब ही बनाया तुझे माँ
मेरी सिसकियों को कोसों दूर पहचान लेती है
अपने को भूखा रख मुझे परोस देती हैं
नही मालूम की तेरे कितने कर्ज़ है मुझ पर
एक उम्र और मिल जाये दुआ करता हूँ हरदम
वक़्त किसका कब रहता है
वक़्त ही तो में मांग लेता हूँ दुआ मैं
तेरे कर्ज़ में ही गुज़र जाए मेरी ज़िंदगी
हर दरवाज़े पे सर झुका लेता हूँ मैं
कांप उठता हूँ जब तू राज़ छुपा लेती है
अपने दर्द को अपनी हँसी में छुपा लेती है
क्या सोच के नाम माँ दिया है उस खुदा ने
मुरत में ममता दिल में सागर दिया है।
वक़्त रुकेगा नही ना ही मेरी शिददत तेरे लिए
लगा तोह खुदा से लड़ जाऊंगा तुझे फिर माँ कहने के लिए
मेरा रोम रोम कर्ज़दार है तेरा
मेरी तो माँ भी तू जगदम्बा भी नाम है तेरा
Beautiful..
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